उदेश्य:
यहा पर टीचर को किसी भी पाठ को पढने के क्या उदेश्य है लिखना है। उदेश्य
कितने भी हो सकते है 2 , 3 या फिर 4 ,
उदेश्य कितने सेट करने है यह पाठ के प्रारूप पर निर्भर करता है।
उदेश्य सेट करते समय टीचर को टर्म वार बिभाजन पुस्तिका एवं
पाठ्य पुस्तक की मदत लेनी चाहिए। सबसे पहले पाठ को पढ़ना चाहिए फिर उसके बाद
उस पाठ के माध्यम से बालको मे किस कौशल का विकास करना है ये देखना चाहिए।
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सिक्षण योजना:
1.
समूहिक कार्य (पूरी कक्षा के लिए) 2. उप समूह मे कार्य 3. ब्यक्तिगति कार्य
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सतत
एवं ब्यापक आकलन:
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समूहिक
कार्य का मतलब है की किसी भी पाठ की सुरुआत करते समय आप भूमिका स्वरूप पूरी कक्षा
से बात करते है.
उपसमूह
मे कार्य का मतलब है उसी पाठ को बालको मे पुख्ता करने के लिए आप बालको को छोटे छोटे
उप समूह मे बाट कर कार्य करवाते है ताकि उनकी समझ और सुदृढ़ हो जाए।
ब्यक्तिगत
रूप से कार्य का मतलब है की अब अपने बच्चो को कोई पाठ पढ़ाया फिर छोटे समूह मे भी
कार्य करवाया पर उसी पाठ/ ज्ञान की समझ को और सुदृढ़ करने के लिए आप बच्चो को ब्यक्तिगत
कार्य करने को दे रहे है। ब्यक्तिगत कार्य अप होम वर्क मे भी देते है और कक्षा मे
भी करवाते है।
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यहा
पर आप ये देखते है की जब मे बालक को उपसमूह मे कार्य दूगा या ब्यक्तिगत रूप से कार्य
करने को दूगा तो उसका आकलन केसे दर्ज करुगा।
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